upbhoktawad ki sanskriti mcq
पाठ -3 उपभोक्तावाद की संस्कृति
1. इस पाठ के अनुसार लोगों की दृष्टि में सुख क्या है:
1. मस्त रहना ही सुख है। 2. प्रभु भक्ति में ही सुख है।
3. उपभोक्तावाद ही सुख है। 4. संयमित जीवन ही सुख है।
2. गांधीजी ने दरवाजे खिड़कियां खुली रखने की बात की थी:
1. लघु उद्योगों के लिए 2. स्वस्थ संस्कृतिक प्रभावों के लिए
3. महज दिखावे के लिए 4. विदेशी उपनिवेश के लिए
3.लेखक श्यामाचरण दुबे का जन्म कब हुआ?
1. 1936 में 2. 1922 में 3. 1999 में 4. 1908 में
4.भारत में पहले से संस्कृतिक तत्व थे:
1. पाश्चात्य 2. सामंती 3. पूर्वी 4. इनमें से कोई नहीं।
5. हम किस के उपनिवेशक बन गए हैं?
1. पाश्चात्य संस्कृति के 2. अमेरिका के 3. विज्ञापन कंपनी के 4. इनमें से कोई नहीं।
6. हमारे सामाजिक मूल्यों पर उपभोक्ता संस्कृति का प्रभाव पड़ा है:-
1. परंपराओं का लोक से 2. परंपराओं के निर्माण से
3. परंपराओं के अवमूल्यन से 4. इनमें से कोई नहीं
7. उपभोक्ता व सामंती संस्कृति में संबंध है:-
1. उपभोक्ता और सामंती संस्कृति में कोई संबंध नहीं।
2. उपभोक्तावाद ने ही सामंती संस्कृति को उत्पन्न किया।
3. सामंती संस्कृति , उपभोक्तावाद के दिन टिक नहीं पाती।
4. सामंती संस्कृति से ही उपभोक्ता संस्कृति ने जन्म लिया।
8.लेखक के अनुसार किसका महत्त्व समाप्त हो गया है:
1. संस्कृति 2. परम्परा 3. आस्था 4. प्रतिष्ठा
9.लेखक के अनुसार हम कौन सी संस्कृति को अपना रहे हैं |
1. देशी 2. विदेशी 3. दोनो 4. कोई नहीं
10. अपनी झूठी प्रतिष्ठा बनाने के लिए हम किनको धोखा दे रहे हैं:
1. अपनों को 2. दूसरों को 3. देशवासियों को 4. विदेशियों को
11. इनमें से श्यामाचरण दुबे जी की रचना नहीं है:-
1. संस्कृति के चार अध्याय की 2. समय और संस्कृति की
3. मानव और संस्कृति की 4. इनमें से कोई नहीं
12. विज्ञापन और प्रसार का सम्मोहन क्या बदल रहा है:
1. हमारी जिंदगी 2. हमारे समाज को 3. हमारी मानसिकता 4.. हमारे देश को
13. लोगों को आज-कल लज्जा आती है:-1
1. पुराने फैशन के कपड़े पहनने में 2. हाथों में मेहंदी लगाने में
3. महंगे कपड़े पहनने में 4. इनमें से कोई नहीं
14. उपभोक्ता संस्कृति हमारे लिए:
1. अच्छी है 2.खतरनाक है 3. दोनो सही हैं 4. दोनो गलत हैं
15. “उपभोक्तावाद की संस्कृति” पाठ के लेखक का जन्म हुआ है:-
1. पंजाब में 2. पश्चिमी बंगाल में 3. गुजरात में 4. मध्य-प्रदेश में
16. इस पाठ में एक गंभीर विषय है वह क्या है?
1. समाज के लिए विज्ञापन का विशेष महत्व। 2. उपभोक्ता संस्कृति का भारत में विकास।
3. विज्ञापन देखना। 4. इनमें से कोई नहीं।
17. इस पाठ के लेखक श्यामाचरण दुबे जी ने किस का चित्रण किया है?
1. लोगों के आलस का 2. इनकी बढ़ती मांग का
3. विज्ञापनों का 4. उपभोक्तावादी समाज का
18.इनमें से श्यामाचरण दुबे जी की रचना नहीं है:-
1. संस्कृति के चार अध्याय की 2. समय और संस्कृति की
3. मानव और संस्कृति की 4. इनमें से कोई नहीं
19.उपभोक्ता संस्कृति का हमारे सामाजिक मूल्यों पर क्या प्रभाव पड़ा?
(a) परम्पराओं का अवमूल्यन हुआ है (b) परम्पराओं का निर्वाह हुआ है
(c) परम्पराओं का लोप हो गया है (d) हम उन्हीं परम्पराओं पर चल रहे हैं
20. लेखक के अनुसार हम दिग्भ्रमित क्यों हो रहे हैं?
(क) विज्ञापनों के कारण (ख) झूठी प्रतिष्ठा के कारण
(ग) गरीबी के कारण (घ) संस्कृति के क्षीण होने के कारण
21. किन संसाधनों का घोर अपव्यय हो रहा है?
(क) सीमित संसाधनों का (ख) प्राकृतिक संसाधनों का
(ग) आर्थिक संसाधनों का (घ) इनमें से कोई नहीं
22. समाज में किनके बीच की दूरी बढ़ रही है?
(क) परिवार के बीच (ख) लोगों के बीच (ग) वर्गों के बीच (घ) इनमें से कोई नहीं
23. जीवन-स्तर का बढ़ता अंतर किसे जन्म दे रहा है?
(क) शत्रुता को (ख) अशांति और आक्रोश को (ग) भेदभाव को (घ) स्वार्थ को
24. हमारी सामाजिक नींव को किस संस्कृति से खतरा है?
(क) उपभोक्तावादी संस्कृति (ख) समाजवादी संस्कृति
(ग) सामंतवादी संस्कृति (घ) इनमें से कोई नहीं
25. दिखावे की संस्कृति के कारण क्या हानि होती है?
(क) निर्धनता (ख) अपराध (ग) दासता (घ) सामाजिक अशांति
26. मनुष्य का लक्ष्य क्या होना चाहिए?
(क) धन प्राप्ति (ख) सुख प्राप्ति (ग) संपूर्ण विकास (घ) इनमें से कोई नहीं
27. छद्म आधुनिकता के गिरफ्त में आने का आशय क्या है?
(क) आधुनिकता का दिखावा करना (ख) गिरफ्तार होना
(ग) बीमार होना (घ) नगर की ओर पलायन करना
28. हमारी मानसिकता किसके कारण बदल रही है?
(क) शिक्षा के कारण (ख) विकास के कारण
(ग) विज्ञापन और प्रसार तंत्र के कारण (घ) इनमें से कोई नहीं
29. भविष्य के लिए सबसे बड़ी चुनौती क्या है?
(क) गरीबी (ख) बेरोजगार (ग) भ्रष्टाचार (घ) सामाजिक संवेदनशून्यता
30.गाँधी ने किस पर कायम रहकर सांस्कृतिक प्रभावों के लिए दरवाजे-खिड़की खुले रखने की बात कही थी?
(a) अपनी शर्तों पर (b) अपनी बुनियाद पर (c) अपने स्वार्थ पर (d) अपने सम्मान पर
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